Video of Cancer Patients
Cancer patient's Self written statement
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Cancer patient's Self written statement
मैं २९ जून १९९५ को
सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग से दीक्षित हुआ। दूसरे दिन ही मैंने परिवार के
सदस्यों को फोटो के समक्ष बिठाकर ध्यान करवाया। सबका ध्यान लगा। उसके बाद मैंने
विद्यालय में प्रार्थना स्थल पर गुरुदेव के फोटो से ध्यान करवाया। उसके बाद
विभिन्न विद्यालयों में एवं अन्य लोगों को भी फोटो के समक्ष बिठाकर ध्यान करवाने
लगा। गुरुदेव की कृपा से एड्स,
कैंसर सहित सभी बीमारियों और नशों से लोग मुक्त होने लगे। मेरे जीवन में भी एक
महत्वपूर्ण घटना घटी- जिसका मैं यहां पर जरूर जिक्र करना चाहूंगा। जब मेरे भतीजे
पुखराज ैध्व प्रह्लादराम, उम्र १४ वर्ष, को जनवरी २००३ को अचानक पेट में दर्द हुआ, कुछ दिन बाडमेर से इलाज करवाने के बाद
जोधपुर महात्मा गाँधी अस्पताल में पेट का ऑपरेशन करवाया। कुछ दिन पश्चात् इसके पीठ
में गांठ बन गई। फिर अहमदाबाद सिविल अस्पताल में जाँच करवाई गई तो डॉक्टरों ने
कैंसर घोषित कर दिया। अहमदाबाद में कीमोथैरेपी के पश्चात् घर आने पर ब्लड मात्र ३
एम.एल. हो गया और नाक से नकसीर (खून) आने लगी। बाडमेर अस्पताल में भर्ती के बाद पेट में सूजन (आफरा)
आ गया। जिसके कारण तुरन्त जोधपुर अस्पताल भर्ती करवाया। तीन चार दिन तक पेट का
आफरा नहीं मिटने के कारण इसे पी.बी.एम. कैंसर अस्पताल, बीकानेर लेकर गया, वहाँ आफरा उतारने के बाद कीमोथैरेपी दी
गयी परन्तु घर आने पर पूरे शरीर में विशेष कर गुप्तांग व पैरों में अत्यधिक सूजन आ
गयी। चिकित्सा विज्ञान के सारे ईलाज फैल हो चुके थे पैसों की बरबादी के बाद भी
शरीर स्वस्थ नहीं हो रहा था। इस कारण मैं इसे सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के
ध्यान योग शिविर में लाया और गुरुदेव से दीक्षोपरान्त मंत्र जाप-ध्यान करवाना
प्रारम्भ किया तथा गुरुदेव से प्राप्त लौंग का सेवन करवाया। उसके कुछ दिनों के बाद
धीरे-धीरे इसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। पीठ के पीछे वाली गाँठ स्वतः फूटकर ठीक
हो गयी तथा उसके बाद से कोई दवाई नहीं ली और यह पूर्णतः स्वस्थ हो गया। कीमोथैरेपी
के समय सिर के बाल झड गये थे नाम-जाप व ध्यान से सिर के बाल वापस आ गये, मेरी आम जन से यही राय है कि इस दर्शन का
लाभ प्राप्त करने के लिए आप गुरुदेव की तस्वीर का ध्यान करो तथा सभी कष्टों से
मुक्ति पाओ।
- लक्ष्मण राम चौधरी (व्याख्याता)
सिणधरी रोड, रामनगर,
बाडमेर
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प्र. आप क्या कार्य करते थे व कहाँ
पर ?
उ. मैं मुम्बई में शेयर मार्केट में दलाली का कार्य करता था तथा मैं फलौदी
का पुष्करणा ब्राह्मण हूँ। मुम्बई में मेरा अच्छा कारोबार चल रहा था।
प्र. आपको कैंसर के बारे में कब मालुम हुआ उसके बाद आपने कहाँ पर चैकअप
कराया?
उ. जब मैं १९९७-९८ में मुम्बई था, तो मुझे मुँह के दांयी ओर के गाल में थोडी सूजन महसूस हुई। फिर गांठ
धीरे-धीरे बढने लगी। और मैंने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने कहा कि आपको कैंसर
है। और १५ दिन के अन्दर तो मुझे चारपाई पकडनी पडी, मुँह बिल्कुल बंद हो गया। बोम्बे हॉस्पीटल ट्रस्ट में चैकअप कराया तथा दो
महीने तक डॉ. एन.के. आप्टे व एन.एच. वंका का इलाज चला। कोई फर्क नहीं पडा फिर
सुख-सागर स्थित उनके प्राईवेट चेम्बर में हमने दो महीने तक इलाज करवाया। लगभग
अलग-अलग जगह ८ महीने तक ट्रीटमेन्ट लेते रहे लेकिन फर्क पडने की बजाय रोग बढता ही
गया। तंग आकर मेरी पत्नी व घर वाले मुझे जोधपुर ले आए।
प्र. जोधपुर में आपने कहाँ पर इलाज कराया और डॉक्टरों ने क्या कहा?
उ. जोधपुर आकर मथुरादास माथुर हॉस्पीटल में डॉ. अरविन्द माथुर को दिखाया।
उन्होंने सारी रिपोर्ट देखकर कहा कि आप तुरन्त मुम्बई चले जाओ,
आपको शुरूआती कैंसर है, इसलिए आप मुम्बई जाकर इसका तुरन्त इलाज कराओ। तो मेरी पत्नी ने कहा कि
मुम्बई से तो हम लोग जोधपुर आएं हैं, अब आप ही कुछ इलाज करो तो डॉक्टर साहब ने कहा कि यहाँ इनका इलाज संभव नहीं
हैं।
प्र. ऐसी स्थिति में फिर आपको कैसा महसूस हुआ तथा आपने क्या कदम उठाया?
उ. मैं तो पूरी तरह निराश हो चुका था। मेरी पत्नी भी बहुत रोई कि आखिर क्या
करें? लेकिन प्रयास जारी रखे। एक दिन,
और तो कोई सहारा था नहीं,
मुझे कुछ आशा की किरण नजर आई। सरदारपुरा प्प्दक बी
रोड पर श्री रामदयालजी चौधरी के एस.टी.डी. बूथ पर, उनसे मुलाकात हुई, उस समय पूज्य गुरुदेवजी इनके मकान में रहते थे। रामदयालजी ने बताया कि आप
गुरुदेव का ध्यान करो तो पूर्णतः ठीक हो जाओगे।
प्र. आपने दीक्षा कब व कहाँ ली?
उ. मैंने २ अप्रेल, १९९८ को गांधी मैदान सरदारपुरा, जोधपुर में शक्तिपात-दीक्षा लेकर गुरूदेव द्वारा बताए नाम (मंत्र) जाप व
ध्यान शुरू किया।
प्र. दीक्षा के बाद आप में क्या परिवर्तन आया?
कृ मैंने गुरूदेव से मंत्र-दीक्षा लेकर गम्भीर नाम जाप और ध्यान शुरू किया,
तो मेरा ध्यान लगना शुरू हो गया। विभिन्न प्रकार की
यौगिक क्रियाएं ध्यान के दौरान होती थी। २७-२८ दिन बाद गाँठ फूट गई तथा बिना
ऑपरेशन किये ही दो दिन के अन्दर सारी गंदगी निकल गई तथा तीसरे चौथे दिन तो मैंने
नमक-मिर्च सहित खाना खाना शुरू कर दिया, जो पिछले ८ या ९ महीने से केवल ज्यूस के सहारे ही जी रहा था।
प्र. क्या वापस डॉक्टर से चैकअप कराया ?
उ. नाम-जाप व ध्यान से मेरे शरीर में अचानक इतना परिवर्तन आया कि हमने
पांचवी रोड स्थित डॉ. सी.एस. कल्ला से वाई.एफ.सी. करवाई। आर.पी. में रिपोर्ट जाँच
के लिये दी। ५ दिन में रिपोर्ट बिल्कुल अच्छी आई। डॉ. साहब ने कहा कि आपको कैंसर
नहीं है। जब मैं पूर्णतः हट्टा-कट्टा हो गया तो मेरी पत्नी के साथ डॉ. अरविन्द
माथुर को दिखाने गए। डॉ. साहब को कहा कि आप ने तो कहा था कि कोई इलाज नहीं,
लेकिन मैं तो जिन्दा हूं। और उनको बोम्बे हॉस्पीटल
की रिपोर्ट दिखाई जिसमें कैंसर घोषित था। डॉ. साहब ने उसको देखकर कहा जो आज की
विज्ञान का अधुरापन साबित होता है। ’’उन्होंने कहा कि जिनकी रिपोर्ट है तो यह आदमी नहीं है और यदि आदमी यहीं है,
तो इनकी जो रिपोर्ट आप दिखा रहे हो यह सही नहीं है।
ऐसा असम्भव है‘‘ तो मेरी पत्नी ने क्रोध में आकर कहा कि मैं पहले भी इनके साथ आफ पास आई थी
और आज भी आई हूँ, क्या भारतीय संस्कृति में दो पति रखना जायज है?और हम लोग अपने घर आ गए।
प्र. आज आप कैसा महसूस करते हैं?तथा आम जन को क्या संदेश देना चाहते हो? न जाने आपकी तरह कैंसर सहित असाध्य रोगों से कितने ही लाखों-करोडों लोग जीवन
व मृत्यु के बीच तडप रहे हैं?
उ. आज दिनांक ४ मई २००८ को मैं कह रहा हूँ कि जीवन गुरू कृपा का ही
महाप्रसाद है। जबकि मेरा जीवन तो १९९८ को ही भौतिक विज्ञान के हिसाब से समाप्त हो
चुका था। बीमारी के इलाज में ६०-७० हजार रूपये खर्च कर दिये लेकिन गुरूदेव के
चरणों में बिना दवाई के व बिना पैसे ठीक हो गया। मेरी आम जन से यही राय है कि
गुरूदेव से दीक्षा लेकर अपना जीवन सफल बनाओ।
प्र. क्या आपने कैंसर की नेगेटिव जाँच कराई?
उ. बीमारी में मेरे गहने व सम्पत्ति सारी बिक गई इसलिए में दुबारी जाँच नहीं
करा पाया लेकिन आज दस साल से नेगेटिव जाँच व रिपोर्ट के रूप में मैं स्वयं जिंदा
बैठा हूँ। पूर्ण स्वस्थ व अपने घर का काम काज कर रहा हूँ।
गुरूदेव श्री रामलाल जी सियाग की शक्तिपात दीक्षा से इतना बडा चमत्कार का
लाभ हुआ। शायद किसी को विश्वास भी न होगा कि दीक्षा से कैंसर जैसा रोग ठीक हो सकता
है। लेकिन मैं जवाहरलाल बोहरा जीता जागता उदाहरण हूँ।
मेरे लिए तो गुरू जी साक्षात् भगवान् बनकर ही घर आए।
-
जवाहरलाल बोहरा
ब्ध्वण् सुल्तान सिंहजी चारण
व्चचण् कुम्हारों का मंदिर, प्ेज ’बी‘ रोड,
सरदारपुरा, जोधपुर (राज.)
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सर्व प्रथम गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग महाराज को बारम्बार नमन् व उनके
चरणों में प्रणाम करता हूँ।
मेरी शादी ११ फरवरी २००८ क हुई। मेरे पति की नौकरी धर चूला (पिथोरागढ)
उत्तरांचल में है। मैं उनके साथ वहाँ चली गई। अप्रैल, मई, जून तक तो ठीक रही,
जुलाई में मुझे अचानक हल्का पेट दर्द होना शुरू
हुआ। वहाँ के छभ्च्ब् सरकारी अस्पताल में दिखाया उन्होंने पेट दर्द की दवा दी और
पेट दर्द ठीक हो गया। ऐसे ही जब भी दर्द होता दवा लेने पर ठीक हो जाता था। क्योंकि
वहाँ पर बडे-बडे अस्पतालों की कोई सुविधा नहीं हैं। शादी की पहली राखी पर,
मैं जब घर आई तो पति ने कहा कि यहाँ किसी बडे
अस्पताल में आपकी जाँच करवा लें। फिर मैं यहाँ उम्मेद अस्पताल में दिखाने गई तो
डाक्टर ने चैक करने के बाद सोनोग्राफी करवाने को कहा, फिर मैंने सोनोग्राफी करवाई, रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ने कहा इनके बच्चेदानी के पास गांठ हो रही है और उसको
ऑपरेशन के द्वारा निकालना पडेगा, आप यहाँ भर्ती हो जाइए। मेरा व मेरे पति का मन नहीं माना,
हमने सोचा शायद उन्होंने ठीक तरीके से जाँच नहीं
किया। हमने और दो तीन सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में जाँच करवाई। फिर मैंने
राजदादीजी, बत्रा नर्सिंग होम में टेस्ट
करवाये, उन्होंने भी टेस्ट करके वही जवाब
दिया, फिर मैंने बत्रा अस्पताल में ही
अपना ऑपरेशन करवाया।
२७ अगस्त को मेरा पहला ऑपरेशन हुआ, ऑपरेशन के दौरान डाक्टर ने मेरी पहली ओवरी हटा दी और कहा कि गांठ ने त्पहीज
व्अमतल को पूरा कवर कर लिया था, इसलिए हमें त्पहीज व्अमतल हटानी पडी। फिर उस गांठ को टेस्ट के लिए पैथोलॉजी
लैब भेजा गया, जहाँ पहली रिपोर्ट ठीक थी लेकिन दूसरे पैथोलॉजी लैब टेस्ट करवाने पर वहाँ के
डाक्टर ने उस गांठ के अंदर कैंसर के कण होने की बात कही। जहाँ मेरा पहला ऑपरेशन
हुआ। उन डॉक्टर ने मुझे बोम्बे अस्पताल में दिखाने को कहा फिर मेरे पति मुझे
बोम्बे के टाटा मेमोरियल अस्पताल में लेकर गए, जहाँ मेरे लगभग सारे टेस्ट हुए ठसववक ज्मेजए म्ब्ळए ग्.त्ंलए ब्ज्. ैबंद और
च्म्ज्.ैबंद सारे टेस्ट की रिपोर्ट ठीक थी पर और च्म्ज्.ैबंद देखकर डॉक्टर ने कहा
कि इनकी स्मजि व्अमतल पर एक सिस्ट हो रही है और कुछ कैंसर के कण भी आ रहे हैं,
डॉक्टर ने कहा कि इनकी बच्चेदानी और एक स्मजि
व्अमतल बची हुई है उसे भी हटाना पडेगा, मेरे तो जैसे हाथ-पांव में जान ही नहीं बची आँखों में आँसू भर गए। मैं कभी
माँ ही नही बन पाऊँगी, डॉक्टर ने कहा कि कब ऑपरेशन करवाना है मेरा मन ऑपरेशन के लिए तैयार ही नहीं
था। मैं यही सोचती अगर बच्चेदानी ही निकल जाएगी तो फिर मैं कैसे जीऊँगी। ४-५ महीने सिर्फ सोचने में ही लगा
दिए। इस दौरान मैंने जयपुर, जोधपुर हर जगह रिपोर्ट दिखाई। सभी डॉक्टरों ने यही कहा कि बच्चेदानी निकलवा
दो और बाद में किमोथैरेपी ले लो, मम्मी-पापा, भाई सब परेशान थे। मेरी मम्मी चिंता करके हर किसी के सामने रोने लग जाती थी।
फिर जब मम्मी ने जोधपुर में रह रहे गंगारामजी बैरवा से मेरी बीमारी के बारे में
बात कही तो उन्होंने पूज्य गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग के बारे में बताया। केवल
फोटो का ध्यान लगाने से ही सब कुछ ठीक हो जायेगा और उसे कुछ नहीं होगा। फिर मम्मी
ने मुझसे फोन पर यह बात कही, पर मुझे विश्वास नहीं हुआ, मैंने मम्मी की बातों पर ध्यान नहीं दिया।
जब मैं रिपोर्ट लेकर दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में अपनी जेठानी
के यहाँ रुकी हुई थी वहाँ पर कोटा से उनकी दीदी का फोन आया तो मेरी जेठानी ने अपनी
दीदी को मेरे बारे में बताया तब उन्होंने भी मुझे पूज्य गुरु श्री रामलालजी सियाग
के फोटो के ध्यान के बारे में बताया उन्होंने मुझसे भी बात की। आप बीकानेर चले जाओ
वहाँ गुरुजी प्रत्येक गुरुवार को दीक्षा देते हैं। आप दीक्षा ले लो हर रोज सुबह
शाम १५ मिनट का ध्यान करो। आपको कुछ नहीं होगा। आपकी बच्चेदानी और ओवरी नहीं
निकलेगी। गुरुदेव सब ठीक करेंगे। बाद में मेरे भतीजे ने नेट द्वारा सर्च करके
गुरुदेव की तस्वीर निकाल दी। मेरी जेठानी ने कहा डॉक्टर को तो दिखा ही चुकी,
अब गुरु की शरण में जाकर भी देख लो वहाँ मैंने पहली
बार ध्यान दिया, पर मन डॉक्टर की बातों पर घूम रहा था आँखों से आँसू निकल रहे थे। पता नहीं
अब क्या होगा ? फिर मैं अपने पति के साथ उतरांचल चली गई। साथ में गुरुदेव की तस्वीर भी ले
गई। वहाँ पर मैं दस बारह दिन रही। जब भी मन होता गुरुदेव की तस्वीर के आगे बैठ
जाती। बस एक ही प्रार्थना करती गुरुदेव मुझे बचा लो। मेरी ओवरी व बच्चेदानी नहीं
निकले वरना मैं कैसे जी पाऊँगी ? क्योंकि दूसरा ऑपरेशन तो होना ही था क्योंकि ’’मेरे पति फोटो के ध्यान से ठीक हो जायेगा गुरुदेव सब ठीक करेंगे इन सब बातों
को नहीं मानते थे‘‘ लेकिन उन्होंने मुझसे कहा अगर तुम्हें कही भी दर्द होगा तो तुम वहीं सोचोगी
कहीं मुझे उस वजह से तो दर्द नहीं हो रहा फिर मैंने सोचा मेरे पति मेरी वजह से
पांच महीने से नौकरी से छुट्टी लेकर बैठे हैं मरे लिए इतना परेशान हो रहे हैं फिर
मैंने ऑपरेशन के लिए हाँ कर दी क्योंकि शायद मेरा मन भी नहीं मानता। मैंने बाम्बे
जाने से पहले अपने पति से कहा कि मैं बीकानेर जाना चाहती हूँ और गुरुजी से दीक्षा
लेना चाहती हूँ तो उन्होंने कहा ठीक है बॉम्बे जाने से पहले मैं बीकानेर गई जिस
दिन मैं पहुँची, उस दिन गुरुवार था।
मैं गुरुजी के आश्रम गई और उनके
गुरु भक्त को अपने बारे में बताया और कहा कि मुझे गुरुजी से मिलना है तब उन्होंने
कहा वो तो अभी यहाँ नहीं है शाम तक आएंगे। शाम को दीक्षा कार्यक्रम है उन्होंने
कहा पहले आपको दीक्षा लेनी होगी फिर अगले दिन आपकी गुरुजी से भेंट हो सकती है।
मैंने सोचा अगर मैं दीक्षा ले लूँगी फिर भी अगर ऑपरेशन के दौरान मेरी बच्चेदानी और
ऑवरी निकल गई तब मैं दीक्षा का पालन कैसे कर पाऊँगी?मैंने उन गुरु भक्त से पूज्य श्री गंगाईनाथजी की समाधि का पता पूछा फिर अपने
पति के साथ जामसर में गुरु गंगाई नाथजी की समाधि के दर्शन के लिए चली गई। वहाँ
पहुंचकर गुरुजी से प्रार्थना की मुझे ऑपरेशन तो करवाना ही है अगर ऑपरेशन के दौरान
कोई चमत्कार हो गया तो गुरुजी मैं आपकी शरण में आ जाऊँगी। मैंने सात फेरी लगा ली।
प्रार्थना कर बिना दीक्षा लिए बॉम्बे चली गई। डॉक्टर ने पूछा क्या निर्णय लिया,
ऑपरेशन करवाना है या नहीं ?
मैंने कहा हाँ करवाना है तो डाक्टर ने २६-१२-२००८
को ऑपरेशन की तिथि दी। मैंने खाट के ठीक सामने टेबल पर गुरुजी की तस्वीर रख दी,
सुबह शाम जब भी ध्यान लगाने की कोशिश करती। मगर मन
ही मन यही सोचती अब मेरा क्या होगा ? ऑपरेशन के बाद कैसे जी पाऊँगी ? मैं कभी माँ भी नहीं बन सकती, शादी को १ साल भी नहीं हुआ सब मुझे ताने मारेंगे पता नहीं शादी से पहले ही
यह बीमारी थी आँखों में आँसू भर जाते, बस गुरुदेव आपसे यही प्रार्थना है मुझे बचालो ऑपरेशन के दौरान कोई चमत्कार
दिखा दो। २६ दिसम्बर शुक्रवार को जब मुझे ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थियेटर में ले जा
रहे थे तो मैंने गुरुजी की तस्वीर को देखकर मन ही मन प्रार्थना की।
गुरुजी अब मैं जा रही हूँ कोई चमत्कार दिखा दो तो मैं तुम्हारी शरण में आ
जाऊँगी। मेरे लिए आप ही भगवान् हैं। मेरी लाज रखना, मैंने गुरुजी को प्रणाम किया। बाद में मुझे ऑपरेशन थियेटर में ले गये।
ऑपरेशन होने के बाद जब मुझे ऑपरेशन थियेटर से आई.सी.यू. वार्ड में होश आया तो मेरे
छोटे भाई ने कहा तेरे लिए खुश खबरी है, तेरी बच्चेदानी व ऑवरी बच गई। डॉक्टर को कहीं कुछ भी नहीं मिला। तब मैंने मन
ही मन गुरुदेव को प्रणाम किया। और कहा अब मैं आपकी शरण में हूँ गुरुजी मैंने आपका
चमत्कार देख लिया। मुझे अपनी शरण में ले लो। फिर मैं अपने सारे दुःख दर्द सब सहन
कर गई। क्योंकि गुरुजी ने मुझे नया जीवन प्रदान किया। मेरे जीवन में खुशियाँ भर
दी। डॉक्टर ने कहा ऑपरेशन के दौरान जितने भी टेस्ट हुए सब की रिपोर्ट सामान्य है।
डॉक्टर ने कहा अभी हमें कहीं भी कैंसर के लक्षण नहीं मिले। इसलिए हमने तुम्हारी
बच्चेदानी व ऑवरी का ऑपरेशन नहीं किया है। १ जनवरी २००९ को मुझे छुट्टी दे दी। बाद
में डॉक्टर को टेस्ट करवाने गए तो उन्होंने कहा अब किमोथैरेपी ले लो जो ऑपरेशन के
१५ दिन बाद शुरू हो जाती है डॉक्टर से पूछा इससे ऑवरी और बच्चेदानी पर तो कोई
नुकसान नहीं पडेगा तो डॉक्टर ने कहा ९० प्रतिशत संभावना है खराब होने के,
मेरे पति ने पूछा कि किमो लेना जरूरी है तो डॉक्टर
ने कहा अभी सब कुछ ठीक है हमने ऑपरेशन से पहले जितने भी टेस्ट करवाएं थे। जाँच
कराकर देखा सभी कुछ नॉर्मल है लेकिन अगर जोधपुर वाली रिपोर्ट देखें तो उसके आधार
पर कीमो लेना चाहिए मेरे पति ने कहा डॉक्टर साहब हमें आपकी राय चाहिए। दूसरा
ऑपरेशन आपने किया है तब डॉक्टर ने कहा ठीक है तीन महीने बाद आप इनको टेस्ट करवाने
लाइए हम इनका ठसववक ज्मेज - ब्ण्ज्ण् ैबंद करेंगे उसके बाद कुछ कहेंगे। शायद
डाक्टर भी कुछ समझ ही नहीं पाएं थे। २२ अप्रेल २००९ की तारीख दी।
उससे पहले मैं विश्राम के लिए मम्मी के पास जोधपुर आ गई फिर मैं और मम्मी हम
दोनों गुरुजी की तस्वीर का ध्यान करते, मन ही मन गुरुजी को कोटि-कोटि धन्यवाद देते। गुरुजी ने इतना बडा चमत्कार
दिखा दिया। मुझे नया जीवन प्रदान किया। मैंने और मम्मी ने २ अप्रेल २००९ को बाडमेर
जाकर गुरुजी के शक्तिपात दीक्षा कार्यक्रम में भाग लेकर दीक्षा ले ली उनके द्वारा
दिए गए मंत्र का जाप व तस्वीर का ध्यान करना। अब गुरुदेव ही मेरी पूजा व विश्वास
है। ५ अप्रेल को जब गुरुजी जोधपुर आश्रम में आए तब मुझे व मम्मी को करीब से दर्शन
व उनके चरण स्पर्श करने का मौका मिला मैंने गुरुजी को अपनी बिमारी के बारे में
बताया और जो चमत्कार हुआ, बताया। गुरुजी ने पूछा दीक्षा कब ली तब मैंने कहा अभी बाडमेर में जब आपका
दीक्षा कार्यक्रम था तब गुरुजी ने कहा अपने सारे टेस्ट की रिपोर्ट यहां आश्रम जमा
करवाना मैंने कहा ठीक है गुरुजी से मैंने कहा अब मुझे दुबारा बॉम्बे टेस्ट करवाने
जाना है बहुत डर लग रहा है तब गुरुजी ने कहा जब पहले कुछ नहीं मिला तो अब क्या
मिलेगा। जब डॉक्टर को दिखाने गई तब गुरुदेव से मन ही मन प्रार्थना कर रही थी मुझे
जल्दी से मुक्त करवा देना। डाक्टर की राय
पर ठसववक ज्मेज और ब्ण्ज्ण् ैबंद करवाया। ठसववक ज्मेज की रिपोर्ट नार्मल थी।
ब्ण्ज्ण् ैबंद की रिपोर्ट में डनसजपचनजम स्विस्ट आई थी मैं इतना डर गई,
रोने लग गई गुरुजी को याद करने लगी गुरुजी मुझे
बचालो अब मेरे में दुबारा ऑपरेशन करवाने की हिम्मत नहीं है,
जब हम डाक्टर को रिपोर्ट दिखाने गए तो डाक्टर ने
रिपोर्ट देखकर ४ महीने बाद आकर दिखाने को कहा, दोनों रिपोर्ट नॉर्मल है मेरे पति ने डाक्टर से जब डनसजपचनसम के बारे में
पूछा तो उन्होने कहा कुछ नहीं सब ठीक है तब मन ही मन गुरुजी को प्रणाम किया तथा
यहीं प्रार्थना की कि गुरुदेव अब आप ही मेरी रक्षा करना।
- ज्योति वर्मा,
विजय नगर, भगत की कोठी, जोधपुर (राज)
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